बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज तुरंत पाएं आराम

आज हम आप को बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज और बवासीर होने कारणों के बारे में जानेंगे। बवासीर (अर्श) को Piles (पाइल्स) को Haemorrhoids (हेमोराइड) के नाम से भी जाना जाता है। bawasir बहुत तकलीफदेह बीमारी है जो स्त्री और पुरुष को सामान्य रूप से प्रभावित करती है। बवासीर की बीमारी में गुदा (Anus) में बाह्य एवं आंतरिक सतह तथा मलाशय (Rectum) में सूजन (Swelling) आ जाती है। जिस कारण मल विसर्जन के समय परेशानी आती है। बवासीर की समस्या किसी भी पुरुष या महिला को उम्र के किसी भी पड़ाव में आ सकती है। पाइल्स की बीमारी होने पर Anus (गुदा) के आंतरिक हस्से या बाह्य हिस्से या दोनों किसी एक स्थान पर मस्से बन जाते हैं, यह कभी अंदर चले जाते हैं तो कभी बाहर आ जाते हैं।

बावासीर की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को सही समय पर पर पाइल्स का इलाज (Piles Treatment) कराना आवश्यक है, समय पर bavasir ki dava न लेने पर यह बीमारी और भी अधिक कष्टदायक हो जाती है। बवासीर एक आनवांशिक (Genetics) बीमारी है, यदि आपके परिवार आपकी किसी पीडी में किसी को Piles की बीमारी रही है तो आपके परिवार के अन्य लोगों को भी बवासीर की बीमारी होने की आशंका रहती है। बवासीर की बीमारी पुरानी होने पर भगन्दर या फिस्टुला (Fistula) का रूप ले लेती है। यह बीमारी पाइल्स से भी ज्यादा कष्टदायक होती है।

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बवासीर की जाँच (Diagnosis of Piles)

बवासीर का इलाज पीड़ित का शारीरिक परीक्षण, शिकायत, मेडीकल हिस्ट्री, लक्षणों के आधार पर किया जाता है। Physical Check Ups रोग को पूर्ण रूप से बीमारी को पक्का करने के लिए किया जाता है जिसमें शामिल है मलाशय परीक्षण जिसमें डॉक्टर द्वारा उंगली के माध्यम से असामान्य (Abnormal) गाँठ का पता लगाया जाता है, यदि दर्द एवंं जलन और सूजन अधिक है तो डाक्टर द्वारा मलाशय परीक्षण नहीं किया जा सकता है।

इस प्रक्रिया में अंदरूनी बवासीर को टेस्ट नहीं किया जा सकता है यह केवल बाह्य बाबासीर के परीक्षण में प्रयोग किया जाता है। यदि डाक्टर को लगता है कि गुदा मार्ग से खून आने का कारण बवासीर के अलावा कुछ और हो सकता है तो डॉक्टर द्वारा एनोस्कोपी (Anoscopy), प्रोक्टोस्कोप (Proctoscope) या सिग्मोइडोस्कोप (Sigmoidoscopy), कोलोनोस्कोपी (colonoscopy) की सहायता से कोलोन (colon) और गुदा के निचले भाग का परीक्षण किया जाता है।

सिग्मोइडोस्कोप (Sigmoidoscopy)

आंतरिक हेमोरोइड की जाँच हेतु गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट द्वारा सलाह की जाती है, जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टर एक छोटा कैमरा (fiber-optic camera) एक छोटी नली (ट्यूब) की सहायता से गुदा में प्रवेश कराया जाता है। इसमें अल्ट्रासाउण्ड की भांति दृश्य चित्र प्राप्त होते हैं जिनका अवलोकन कर डाक्टर द्वारा बीमारी कन्फर्म की जाती है।

कॉलोनोस्कोपी (colonoscopy)

यदि डॉक्टर पीडित में बवासीर के लक्षण के साथ अन्य पाचन संबंधी रोग लक्षण तथा कोलोरेक्टल कैंसर (colorectal cancer) के लक्षण महसूस करता है तो इस जाँच कोलोनोस्कोपी हेतु रैफर करता है।

बवासीर (Piles) होने के कारण

आयुर्वेद के अनुसार बवासीर वात, पित्त, कफ तीनों दोषों के दूषित होने पर हो जाता है, इसी कारण से इसे त्रिदोषज रोग भी बोला जाता है। हेमोराइड होने के कारण मुख्यतः हमारी जीवन शैली पर निर्भर करते हैं परन्तु कुछ अन्य कारण भी बवासीर के कारक हैं।

  • मोटापा
  • गर्भावस्था
  • लम्बे समय तक दस्त या कब्ज रहना
  • एनल सेक्स (गुदा संभोग)
  • भारी वजन उठाना
  • शौंच के लिए लम्बे समय तक बैठे रहना
  • फाइबर युक्त आहार का कम सेवन करना
  • मलोत्सर्ज के दौरान तनाव रहना
  • आनुवांशिक कारण
  • महिलाओं में प्रसव के दौरान गुदा पर दबाव पड़ने के कारण
  • स्पाइसी फूड का प्रयोग करना
  • शारीरिक गतिविधि न के बराबर करने के कारण
  • धूम्रपान एवं अन्य नशे की आदत
  • तनाव / अवसाद

बवासीर (Haemorrhoids) के लक्षण

हैमोराहोइड (बवासीर) के लक्षण भी विभिन्न प्रकार के होते हैं। जो प्रारम्भ में गुदा में खुजली से प्रारम्भ होकर, गुदा से रक्त स्त्राव या गुदा से कुछ हिस्सा बाहर आ जाने तक हो सकते हैं। सामान्यतः यदि आपके पाइल्स की शुरूआत है तो यह स्वतः ही 4 से 5 दिन में ठीक हो जाता है, परन्तु रोग को प्रारम्भ में गम्भीरता से न लेने पर यह लक्षण भी नजर आते हैं।

  • गुदा के आस पास सख्त गांठ महसूस होना, तथा इस गांठ में दर्द तथा खून आने की शिकायत होना
  • शौच के उपरान्त भी फ्रेश फील न करना
  • शौंच के समय मल मार्ग पर जलन, दर्द महसूस होना तथा लाल चटकदार रक्त का स्त्राव
  • शौच के समय दर्द का अहसास होना
  •  गुदा के आस पास सूजन, लालीपन, खुजली रहना
  • शौच के वक्त म्यूकस जैसा मल मार्ग से आना
  • बार बार मल विसर्जन की इच्छा होना परन्तु मल विसर्जित न हो पाना

बवासीर (पाइल्स) का इलाज (piles treatment in hindi), बवासीर की दवा (bavasir ki dava) का सेवन करके, घरेलू उपाय अपनाकर व सर्जरी के माध्यम से किया जा सकता है। इसके बारे में विस्तार से आपको बतायेंगे।

बवासीर की दवा (Piles Treatment in Hindi)

मलहम, पैड्स, क्रीम

बाजार में बहुत सारे मलहम (मरहम), क्रीम (Ointment), Suppositories या Peds तुरंत bawaseer ki dawai हैंं, जिसे मलाशय के आस पास के स्थान जहाँ पर लालिमा (Redness) व सूजन (Swelling) पर मालिश करने पर आराम आता है। जैसेः- विच हेज़ल (Witch Hazel), हाइड्रोकार्टिसिन (Hydrocortisone), कार्टिकॉस्टेरोइड आदि सक्रिय दवाइयाँ है, जो खुद खुजली, दर्द और रेडनेस में तुरंत आराम देती हैं, पर यह बाबासीर की दवाई नहीं है जो बवासीर को ठीक करती हैं। इन दवाओं क्रीम्स का प्रयोग 7 दिन अधिक नहीं करना चाहिए अन्यथा इसके नकारात्मक प्रभाव का सामना आपको करना पड सकता है।

बवासीर के लिए दर्द निवारक मेडिसिन

बाजार में मेडीकल स्टोर्स पर कई सारी दर्द निवारक दवांए उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग कर आप बवासीर (bawasir) के कारण गुदामार्ग में होने वाले दर्द में क्षणिक लाभ ले सकते हैं। ऐसी दर्द निवारक दवा पैरासीटामोल है जो आसानी से फार्मेसी पर उपलब्ध है।

बवासीर का इलाज सर्जरी (Surgery) व अन्य उपाय

यदि आप हर तरह का इलाज कराने के उपरांत भी बवासीर की समस्या से अभी तक जुझ रहे हैं तो आप शल्य क्रिया (सर्जरी) का उपयोग कर बवासीर का इलाज करा सकते हैं।

बैंडिंग (Banding) इस प्रक्रिया में डाक्टर्स मलाशय के अंदर बवासीर (पाइल्स) के चारों तरफ आधार के आस पास इलास्टिक रबर बैण्ड लगा देते हैं। जिससे बवासीर के मस्सों में रक्त संचार बंद हो जाता है और बवासीर के मस्से सूखकर झड़ जाते हैं। यह प्रक्रिया असुविधाजनक होती है।

स्क्लेरोथेरेपी (Sclerotherapy)

स्कलेरोथेरेपी में चिकित्सक द्वारा बवासीर को सुखाने के लिए रोगी को टैबलेट्स, मेडिसिन, या इंजेक्शन दिए जाते हैं। जिससे हेमोरोइड धीरे धीरे सुकडने लगता है और बवासीर के मस्सो का विकास रूक जाता है तथा सूख जाता है। यह भी बैंडिंग टेक्नीक का एल्टरनेटिव है।

इन्फ्रारेड कोगुलेशन (Infrared coagulation)

इंफ्रारेड कोएगुलशन को Infrared Light Coagulation भी बोला जाता है। इस तकनीकी में कम तीव्रता वाली इंफ्रारेड तरंगों का इस्तेमाल करके बवासीर के मस्सों की जमावट को रोशनी द्वारा जला दिया जाता है या संकुचित कर दिया जाता है।

हेमोराहोइडक्टोमी (Hemorrhoidectomy)

बवासीर एक ऐसा रोग है जो सही होने के उपरांत बार बार लौट लौट कर आता है। इस बार बार होने वाली बवासीर को पूर्ण रूप से खत्म करने के लिए आप हेमोर्रोइडेक्टमी (Hemorrhoidectomy) करा सकते हैं। यह बवासीर को पूरी तरह से हटाने के लिए बैस्ट सर्जरी है। इस सर्जरी में रोगी को एनेस्थेटिक द्वारा मरीज को बेहोश करने के उपरांत सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी के उपरांत मूत्रमार्ग में संक्रमण के चांस बढ़ जाते हैं।

हेमोराइड स्टेपलिंग (Haemorrhoid stapling)

बवासीर के उपचार में प्रयोग की जाने वाली शल्य प्रक्रिया को हेमोराइड स्टेपलिंग (Haemorrhoid stapling) या स्टेपल हेमोराइडोपेक्सी के नाम से भी जाना जाता है। इस सर्जरी में डाक्टर द्वारा खून के बहाव को हेमोराइड ऊतक के लिए बंद कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के उपरान्त बवासीर की पुनरावृत्ति होने ताथ गुदा भ्रंश / rectal prolapse का खतरा रहता है।

हेमोर्रोइड को बांधना

इस प्रक्रिया में चिकित्सक द्वारा पाइल्स ऊतकों की तरफ हो रहे रक्त संचार को बंद कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद bawasir की पुनरावृत्ति के चांस रहते हैं तथा मलाशय का हिस्सा गुदा से बाहर आ जाता है।

बवासीर होने के उपरांत होने वाली शारीरिक जटिलतांए

बवासीर (bawaseer) होने के उपरांत रोगियों में विभिन्न प्रकार की शिकायतें सुनना आम है। जिनमें कुछ हम यहाँ वर्णित कर रहे हैं।

एनीमिया (Anaemia)

बवासीर की बीमारी के दौरान हुए रक्त स्त्राव के चलते आप एनीमिया (शरीर में खून की कमी) का होना प्रायः देखा जाता है। एनीमिया होने पर आपके शरीर की रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाने के लिए आवश्यक लाल रक्त कोशिका (RWC) मौजूद नहीं रहती हैं।

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बवासीर के इलाज के लिए कुछ पतंजलि आयुर्वेदिक औषधियां एवं मेडिसिन

पतंजलि एवं दिव्य फार्मेसी में बवासीर के इलाज के लिए बहुत सारी बाबासीर का दवाई उपलब्ध हैं। जिन बवासीर पतंजलि मेडिसन का उपयोग कर बवासीर को जड से खत्म किया जा सकता है। पतंजलि फार्मा में उपलब्ध कुछ दवाओं का उपयोग कर बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज सम्भव है।

    • पतंजलि ईसबगोल भुसी
    • पतंजलि अर्शकल्प वटी
    • दिव्य सर्वकल्प क्वाथ एवं दिव्य कायाकल्प क्वाथ

इसबगोल भुसी

इसबगोल भुसी

पतंजलि बाबा रामदेव द्वारा उपलब्ध करायी जा रही पतंजलि इसबगोल भुसी सबसे अधिक बिकने वाली बवासीर की दवा है। इसबगोल भुसी में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है। पतंजलि ईसबगोल भूसी लैक्सेटिव की तरह कार्य करता है जिस कारण मल त्याग के समय आपको गुदा मार्ग पर जोर नहीं लगाना पडता और आप आसानी से अपना पेट साफ कर पाते हैं। इसमें मौजूद फाइबर की मात्रा पाचन तंत्र को बढ़िया रखता है। इसके प्रयोग के बवासीर के प्रारम्भिक लक्षणों को दूर कर bawasir से छुटकारा पाया जा सकता है।

पतंजलि अर्शकल्प वटी

पतंजलि अर्शकल्प वटी

अर्शकल्प वटी पतंजलि द्वारा बवासीर के रोगियों को ध्यान में रखते हुए आयुर्वेदिक जडीबूटियों के मिश्रण से तैयार की गयी बाबासीर का दवाई है। इसमें मौजूद जडीबूटियाँ बवासीर के दौरान मलाशय में आयी सूजन, खुजली, जलन को दूर करती है। यह वटी पेट में मौजूद कब्ज को साफ कर पाचन तंत्र को पुख्ता करती है। बवासीर के अलावा यह अर्शकल्प वटी फिस्टुला जैसी खतरनाक बीमारी के इलाज में भी प्रयोग की जाती है। पतंजलि अर्शकल्प वटी का आप दिन में दो बार प्रातः एवं शाय प्रयोग कर सकते हैं। इसके सेवन से आपको मल त्याग में जोर नहीं लगाना होता है।

दिव्य सर्वकल्प क्वाथ एवं दिव्य कायाकल्प क्वाथ

दिव्य सर्वकल्प क्वाथ एवं दिव्य कायाकल्प क्वाथ

दिव्य फार्मेसी द्वारा निर्मित सर्वकल्प क्वाथ एवं कायाकल्प क्वाथ का प्रयोग bavasir ki dava के रूप में किया जाता है। इसमें आपको दोनों औषधियों दिव्य सर्वकल्प क्वाथ एवं दिव्य कायाकल्प क्वाथ से एक एक चम्मच चूर्ण (चूरन) का मिश्रण बनाकर 400 मिली पानी में मिलाने के उपरांत जब तक उबालना है जब तक यह 10 मिली न रह जाये, एवं ठण्डा करने के उपरान्त सुबह एवं शाम खाली पेट सेवन करना होता है। यह बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज है।

बवासीर के लिए घरेलू नुस्खे

यदि आप भी बवासीर (अर्श) की बीमारी से परेशान हैं तो आपको बता दें कि बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज वैद्याचार्य द्वारा बताये गये हैं, जिन आयुर्वेदिक निस्खों का प्रयोग कर आप bawasir की प्रारम्भिक स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं। बवासीर की दवा (Bawaseer ki dawa) के रूप में आप विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक औषधि का प्रयोग कर bavasir का इलाज आराम से घर बैठे कर सकते हैं। बाबासीर का दवाई के रूप मे आप निम्न वर्णित औषधि का प्रयोग कर सकते हैं।

ग्वारपाठा (एलोवेरा)

ग्वारपाठा (Alovera) के प्रयोग से bawasir का इलाज सम्भव है। एलोवेरा में सूजन कम करने के औषधीय गुण विद्यमान हैं। एलोवेरा में पाया जाने वाले जैल मानव शरीर में फाइबर को बढाता है। आप अपने मल मार्ग की जलन को शांत करने के लिए एलोवेरा जैल को गुदामुख पर लगाये यह सूजन को कम करता है तथा जलन को शांत करता है। इसमें कब्ज रोधक गुण भी पाये जाते हैं अतः आप प्रतिदिन कुछ मात्रा में एलोवेरा जेल को खाये इससे आपको बेहतर लाभ मिलेगा और मल भी आसानी पास हो जाया करेगा।

आंतरिक एवं बाहरी बवासीर के उपचार के लिए आप एलोवेरा का प्रयोग किया जा सकता है। आप ताजा एलोवेरा की पत्तियों को काट लें तथा इसके अंदर निकलने वाले गूदे से गुदा मार्ग की मालिश करें। यदि आप दर्दनाक (बाबासीर का दवाई) हेमोराहॉइड से परेशान हैं तो आप ग्वारपाठा की पत्तियों को काट कर फ्रिज में रख दें तथा ठण्डा होने पर इस गूदे को मल मार्ग पर रखे इससे आपको पाइल्स के दर्द, जलन एवं रक्तस्त्राव से छुटकारा मिलेगा।

सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar)

सेब के सिरके को बवासीर की दवा के रूप में प्रयोग कर बवासीर का इलाज (piles treatment in hindi) सम्भव है। एपल सीडर विनेगर में विद्यामान कषाय गुण रक्तवाहिनीयों को सिकोड़ने में मदद करता है। जिससे रक्त स्त्राव कम होता है। खूनी बवासीर में आप एक चम्मच सेब का सिरका एक गिलास पानी में डालकर प्रतिदिन पिये आपको राहत मिलेगी। यदि आप वादी बवासीर से पीडित हैं तो एक रुई के फाये में सेब का सिरका लगाकर इस रूई को गुदा मार्ग में रखे इससे जलन व खुजली शांत होगी।

जैतून का तेल (Olive Oil)

जैतून के तेल को बाबासीर का दवाई के रूप में प्रयोग कर वादी बवासीर (bawasir) का इलाज किया जाता है। ऑलिव आयल का प्रयोग मुख्यतः बाह्य बवासीर के इलाज के लिए किया जाता है। जैतून के तेल में बवासीर रोग के दौरान आयी रक्तवाहिकाओं की सूजन को कम करने के प्राकृतिक गुण होते हैं।जैतून का तेल योनि टाइट करने की दवाई के रूप में भी प्रयोग किया जाता है इसकी मालिश करने से योनी टाइट हो जाती है। जैतून के तेल के प्रयोग से रक्तवाहिकाओं नरम होती हैं जिसके कारण सूजन कम होती है।

बादाम का तेल (Almond Oil)

बादाम का तेल भी प्राकृतिक रूप से bawaseer ki dawai के रूप में प्रयोग किया जाता है। बादाम का तेल भी प्राकृतिक रूप से बवासीर के कारण आई सूजन को कम कर दर्द एवं जलन को कम करता है तथा मल मार्ग को नरम करता है। एक रूई के फाहे में बादाम का तेल लेकर बवासीर वाले स्थान पर रखे इससे आपको बहुत जल्द फर्क महसूस होगा।

साबुत अनाज एवं अंकुरित अनाज (Whole Grain and Sprouts)

साबुत एवं अंकुरित अनाज फाइबर के अच्छे स्त्रोत होते हैं जो बवासीर के दौरान आने वाले रक्तस्त्राव व कब्ज को कम करने में मदद करता है। साबुत अनाज बॉविल मूवमेंट के दौरान तनाव को कम करता है तथा आपको मलत्याग के समय दर्द कम करने में लाभकारी है।

नारियल एवं छाछ (Coconut and Butter Milk)

नारियल से मिलने वाले जटाओं को जलाकर राख बना लें तथा इस राख को मट्ठे (छाछ) में मिलाकर प्रतिदिन प्रातः खाली पेट सेवन करें। इससे आपके पेट में कब्ज की मात्रा कम होती तथा यह बवासीर के दौरान आई सूजन को कम करने का गुण भी रखता है।

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हल्दी (Turmeric)

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज हल्दी एक हर्बल एण्टीसेप्टिक है। हल्दी का भारतीयों द्वारा प्राचीन समय से ही विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है। हल्दी पावडर बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज है। हल्दी पाउडर को आप कडवी तोरई के रस में मिलाकर मस्सो पर इस्तेमाल करें आपके मस्से 7 दिन के अंदर झड जायेंगे तथा आपको बवासीर से बेहतर लाभ मिलेगा।

छोटी हरड़

छोटी हरड़ भी piles treatment in hindi की रामबाण औषधि है। छोटी हरड में पाये जाने वाले औषधीय गुण प्राचीन काल से ही पेट संबंधी रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता रहा है। छोटी हरड़ का उपयोग bavasir ki dava के रूप में भी किया जाता है। आप किसी भी पंसारी की दुकान से छोटी हरड़ खरीद लाये तथा इसको धूप में सुखाने के उपरांत इसका चूर्ण तैयार कर लें तथा इस चूरन को प्रतिदिन 2 से 5 ग्राम नियमित पानी के साथ सेवन करें। इससे आपको बबासीर(bawasir) जैसी खतरनाक बीमारी से राहत मिलेगी। इसके अलावा छोटी हरड़ के चूरन को अरंडी के तेल में मिलाकर इस मिश्रण का प्रयोग बवासीर के मस्सों पर करें आपको शर्तिया लाभ होगा।

नीम का तेल (Neem Oil)

नीम के पेड का हर भाग जैसे पत्ती, छाल, निबौरी, लकड़ी आदि सभी किसी न किसी बीमारी के इलाज में प्रयोग किया जाता है। नीम के पेड़ से मिलने वाले फल निबौरी की गठलियों को निकालकर सुखा लें तथा इसका चूर्ण बना लें और इस चर्ण का प्रयोग मस्सों पर करें। नीम के तेल को बवासीर के मस्सों पर लगाने से बवासीर (Piles) में आराम मिलता है। नीम के तेल की चार पाँच बूँदे प्रतिदिन सेवन करने से बवासीर में आराम मिलता है। आप सीधे नीम के बीच को गुण के साथ सेवन कर bavasir ki dava के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं।

छाछ (मट्ठा)

छाछ / मठा ठण्डी प्रवृत्ति का होता है तथा कब्ज दूर करने में काफी अच्छा माना जाता रहा है। यदि आप अपने भोजन में छाछ या पतले दही का प्रतिदिन सेवन करेंगें तो bawasir की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। यदि आप चाहें तो प्रतिदिन छाछ का स्वाद बदलकर प्रयोग कर सकते हैं जैसे कभी सादा मठा तो कभी काला नमक और भुना जीरा डालकर प्रयोग करें। लाल मिर्च का परहेज करें तो आपके लिए अतिउत्तम होगा। यदि आप मट्ठा में अजवाइन एवं काला नमक मिलाकर सेवन करते हैं तो आपको और अधिक लाभ प्राप्त होगा।

पानी (Water)

यदि आप आंतरिक या बाह्य किसी भी प्रकार के बवासीर की समस्या से पीडित हैं तो प्रतिदिन पानी के सेवन में इजाफा करें। आप प्रतिदिन 8 से 10 गिलास पानी का उपभोग करने की आदत डालें। यह आपके शरीर को हाइड्रेड रखेगा और आपकी कब्ज की समस्या को भी दूर करेगा।

जीरा (Cumin)

जीरा हमारे रसोई घर में प्रतिदिन प्रयोग की जाने वाला मसाला है जो पेट सम्बन्धी बीमारियो के इलाज में भी प्रयोग किया जाता है। यदि आप बादी बवासीर से परेशान हैं तो आप जीरे को महीन पींस लें तथा दर्द एवं जलन वाले हिस्से पर मस्सों पर इस जीरे के चूर्ण में पानी मिलाकर लगाये आपको दर्द एवं जलन से जल्द राहत मिलेगी और यदि आप खूनी bawaseer ki dawai के रूप में जीरे का उपयोग जानना चाहते हैं तो आप जीरे को भून कर उसे मिश्री के साथ मिलाकर पीस कर चूरन बना लें तथा इस चूर्ण को प्रतिदिन दिन में 2 से 3 बार मट्ठे के साथ प्रयोग करें। आप को जल्दी ही खूनी बाबासीर से राहत मिलेगी।

पपीता (Papaya)

पपीता कब्ज (Constipation) रोधक फल है, प्रतिदिन पपीते के सेवन से मानव शरीर में बन रही कब्ज पूर्णतः समाप्त हो जाती है तथा चेहरे पर ग्लो आता है।पपीता प्रेगनेंसी रोकने की दवा के लिए भी प्रयोग किया जाता है। रात के भोजन में पपीता के इस्तेमाल से आपको अगले दिन मल त्यागने में पीडा नहीं होगी तथा बवासीर भी जल्दी क्योर हो जाएगा।

पाइल्स के इलाज के कुछ अन्य उपाय (piles treatment in hindi)

गर्म स्नानः एक टब में हल्का गर्म पानी ले लें तथा इस टब में बैठ जाये। गर्म पानी बवासीर में आयी सूजन तथा जलन को शांत कर आपको आराम देता है। इस प्रक्रिया को सिट्ज स्नान (Sitz Bath) या हिप बॉथ (Hip Bath) भी बोला जाता है। बेहतर लाभ के लिए आप अपने हिप्स (कूल्हों) को कम से कम 10 मिनट तक गुनगुने गर्म पानी में सेंदा नमक डालकर बैठे।

बर्फः बवासीर (पाइल्स) में बर्फ लगाने से गर्म पानी की भांति ही जलन एवं सूजन से छुटकारा मिलता है।

ढीले पतले एवं सूती वस्त्रः सूती कपडे पहनने से हवा का आवागमन अच्छे से होता है तथा आपका गुदा क्षेत्र साफ एवं सूखा रहता है जो बवासीर में रामबाण औषधि की तरह काम करता है।

बवासीर से सम्बन्धित अन्य प्रश्न एवं उत्तर

क्या बवासीर का इलाज केवल सर्जरी से ही सम्भव है?

बवासीर की प्रारम्भिक स्थिति में आप बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज तथा बेहतर जीवनशैली का उपयोग कर बवासीर (Bavasir ka upchar) को मिटा सकते हैं।

बवासीर के कारण होने वाली क्या दूसरी बीमारियां होती हैं?

यदि आप खूनी बवासीर से पीड़ित हैं तो आपको शरीर में कमजोरी, खून की कमी आदि बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। लम्बे समय तक बवासीर रहने तथा सही उपचार न लेने के चलते आपको कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer) का सामना करना पड सकता है इसलिए bawasir के शुरूआती लक्षण महसूस होते ही अच्छे डाक्टर से सम्पर्क कर बवासीर का उपचार (Bavasir ka upchar) कराना बेहतर विकल्प है।

क्या सभी प्रकार की बवासीर (अर्श) में खून आता है?

बवासीर कई प्रकार की होती है, परन्तु खूनी बवासीर के रोगियों को ही रक्त स्त्राव की शिकायत रहती है। कभी कभी मल त्यागते समय कब्ज या मल के सख्त होने के कारण ब्लड देखा जाता है।

पर्मानेंट बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

उपर्युक्त वर्णित सभी तौर तरीके व दवांए आपके लिए बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक उपचार का कार्य कर सकती हैं। आप अपनी दैनिक क्रियाओं एवं दिनचर्या में सुधार कर उपर्युक्त वर्णित टिप्स तथा डॉक्टर्स की सलाह से bawaseer ki dawai लेकर बवासीर को जड़ से खत्म कर सकते हैं।

सर्जरी के बाद बवासीर दोबारा हो सकता है?

हाँ, प्रायः देखा गया है कि बवासीर की सर्जरी कराने के उपरांत भी अपनी दैनिक जीवन शैली, खान पान, एवं खराब लाइफ स्टाइल के चलते यह बवासीर का रोग दोबारा हो जाता है। अतः इस लेख में उल्लेखित टिप्स का उपयोग कर आप बवासीर को कंट्रोल कर सकते हैं। नियमित व्यायाम, प्राणायाम भी आपको बवासीर दूर करने में मदद करता है। हमारी सलाह यही है कि ज्यादा देर तक बैठे रहना एवं सोना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं अतः अपने शरीर को एक्टिव रखें और बवासीर से मुक्ति पायें।

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