PMS की समस्या से महिलाओं मे दिखाई देने वाले लक्षण | पीएमएस के उपाय

कुछ महिलाओं में पीरियड्स के पहले होने वाली PMS जिसे प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है, की समस्या के कारण विभिन्न प्रकार के शारीरिक समस्याएं होती हैं, जो महिलाओं में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बनती हैं। भारत में लगभग 75 से 80% महिलाएं प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम PMS की समस्या से पीड़ित होती हैं, किंतु अधिकतर महिलाओं में इसके विभिन्न लक्षण दिखाई देते हैं। अलग-अलग महिलाओं में अलग प्रकार के लक्षण होने के कारण इसके कारण तथा लक्षणों को स्पष्ट नहीं किया जा सकता है।

यही मुख्य कारण है कि पीएमएस की समस्या महिलाओं में बढ़ती जा रही है, जिसके कारण महिलाओं को प्रत्येक महीने पीरियड्स आने के कुछ दिन पूर्व विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रत्येक महीने ऐसी समस्याओं का सामना करने से महिलाओं का जीवन जटिल होता जा रहा है तथा विभिन्न प्रकार की समस्याओं से पूर्ण होता जा रहा है। इन सब समस्याओं से बचने के लिए आज हम आपको पीएमएस की पूर्ण जानकारी कारण लक्षण तथा बचाव के बारे में जानकारी उपलब्ध कराएंगे जो आपके लिए उपयोगी हो सकती है।

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Premenstrual syndrome (PMS)

महिलाओं का शरीर पुरुषों के शरीर की अपेक्षा बहुत अधिक जटिल तथा कष्ट कर होता है। महिलाओं को जीवन में पुरुषों की अपेक्षा बहुत अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। महिलाओं को प्रत्येक महीने होने वाले पीरियड्स तथा पीरियड से संबंधित विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो एक पुरुष के लिए बहुत ही कष्ट कर हो सकता है, किंतु महिलाएं प्रारंभ से ही ऐसी चीजों तथा ऐसी समस्याओं को सहन करने की आदी हो जाती हैं, जिसके कारण उनको इन समस्याओं से बहुत अधिक कष्ट महसूस नहीं होता है।

किंतु यदि अचानक यही समस्याएं पुरुषों को सहन करनी पड़ जाए तो पुरुष निश्चित रूप से परेशान हो जाएंगे, क्योंकि महिलाओं में सामान्य रूप से पीरियड से ही प्रत्येक महीने बहुत अधिक कष्ट कर होते हैं। वही पीरियड से कारण होने वाले प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम की समस्या जो लगभग ज्यादातर महिलाओं को होती है, की परेशानी और अधिक परेशान कर देती है। PMS महिलाओं में होने वाली एक ऐसी समस्या है जो पीरियड से पहले कुछ दिनों तक प्राप्त रहती है तथा पीरियड्स आने पर समाप्त हो जाती है।

PMS क्या है ?(What is Premenstrual syndrome)

PMS क्या है

प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम महिलाओं में होने वाली पीरियड से पहले की समस्याओं के लक्षणों का एक समय होता है, जो महिलाओं में पीरियड के कुछ दिन पहले प्रभावी होता है तथा पीरियड्स आने पर प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम के सारे लक्षण समाप्त हो जाते हैं तथा पीएमएस की समस्या सामान्य हो जाती है। सामान्य तौर पर अधिकतर महिलाओं में पीएमएस के सभी लक्षण सामान्य ही रहते हैं, किंतु कुछ महिलाओं में इसके लक्षण बहुत अधिक खतरनाक हो जाते हैं, जिसके कारण महिलाओं को विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन शारीरिक समस्याओं के कारण महिलाएं बहुत अधिक परेशान हो जाती हैं तथा पीएमएस के विभिन्न समस्याओं के कारण उन्हें विभिन्न प्रकार की शारीरिक तथा मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम को प्रागार्तव के नाम से भी जाना जाता है। 

प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम के सभी लक्षण महिलाओं में पीरियड से पहले कुछ दिन तक प्रभावी रहते हैं तथा पीरियड्स प्रारंभ होने के साथ ही यह सभी लक्षण समाप्त हो जाते हैं। सामान्य रूप से पीएमएस की समस्या महिलाओं में 12 से 15 वर्ष की आयु में पीरियड्स प्रारंभ होने के साथ ही प्रारंभ होती है और महिलाओं में रजोनिवृत्ति अर्थात पीरियड समाप्त होने की उम्र तक लगभग 45 से 50 साल तक रहती है, उसके पश्चात या स्वतः ही समाप्त हो जाती है किंतु पीएमएस के कारण महिलाओं को विभिन्न प्रकार की मानसिक तथा शारीरिक समस्याओं से गुजरना पड़ता है। इसलिए यह लक्षण महिलाओं के लिए बहुत ही कष्ट कर होते हैं।

पीएमएस के लक्षण

पीएमएस के लक्षण

जैसा कि आप जानते हैं की पीएमएस की समस्या भारत में लगभग 80% महिलाओं में देखने को मिलती है, किंतु लगभग सभी महिलाओं में इसके विभिन्न लक्षण पाए जाते हैं। इसलिए पीएमएस के स्पष्ट लक्षणों के बारे में कह पाना बड़ा मुश्किल होता है। किंतु पीएमएस के कारण होने वाले विभिन्न प्रकार की समस्याएं जो महिलाओं में लक्षण के तौर पर दिखाई देती है, उनके बारे में बताया जा सकता है।

यह लक्षण महिलाओं में दो तरह के दिखाई देते हैं, कुछ लक्षण महिलाओं को शारीरिक रूप से प्रभावित करते हैं तो कुछ लक्षण महिलाओं को मानसिक रूप से भी प्रभावित करते हैं। इसलिए पीएमएस की समस्या के कारण होने वाले लक्षणों को दो भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें कुछ शारीरिक रूप से स्पष्ट दिखाई देने वाले लक्षण होते हैं तथा कुछ मानसिक रूप से महिलाओं को प्रभावित करने वाले लक्षण होते हैं। अलग-अलग लक्षण होने के कारण इन लक्षणों को दो भागों में विभाजित किया गया है।

  • शारीरिक पीएमएस के लक्षण। 
  • मानसिक पीएमएस के लक्षण।

शारीरिक पीएमएस के लक्षण 

महिलाओं के शरीर में सीएमएस की समस्या के कारण स्पष्ट होने वाले शारीरिक लक्षण जिनसे महिलाओं को शारीरिक समस्याएं होती हैं और यह लक्षण प्रत्येक महीने होने वाले पीरियड्स के कुछ दिन पहले तक स्पष्ट दिखाई देते हैं तथा पीरियड्स प्रारंभ होते हैं। अधिकतर महिलाओं में समाप्त हो जाते हैं, महिलाओं में होने वाले पीएमएस की समस्या के कारण शारीरिक लक्षण निम्नलिखित हैं।

  • ब्लोटिंग की समस्या। 
  • शरीर में ऐंठन होना। 
  • गले में खराश होना। 
  • एक या दोनों स्तनों में सूजन। 
  • मुहांसे की समस्या। 
  • अचानक से कब्ज।
  • माहवारी होने तक दस्त।
  • लगातार सिर दर्द बने रहना। 
  • पीठ और मांसपेशियों में दर्द।
  • प्रकाश के प्रति असामान्य संवेदनशीलता।
  • रक्तचाप में वृद्धि होना। 

मानसिक पीएमएस के लक्षण

प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम की समस्या के कारण महिलाओं में पीरियड्स के कुछ दिन पहले कुछ मानसिक बदलाव दिखाई देते हैं, जिनके कारण महिलाओं में दुख अवसाद तथा चिंता जैसे समस्याएं दिखाई देती हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के मानसिक समस्याएं नजर आती हैं जो महिलाओं को मानसिक रूप से परेशान कर देती हैं। इन मानसिक समस्याओं के कारण महिलाओं को बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। महिलाओं में होने वाली मानसिक समस्याएं निम्नलिखित हैं

  • चिंता बने रहना।
  • बेचैनी महसूस करना।
  • अकेलापन महसूस करना।
  • असामान्य क्रोध और चिड़चिड़ापन होना।
  • लगातार भूख में परिवर्तन होना। 
  • अचानक से मीठा खाने का दिल करना। 
  • समय-समय पर स्वाद में परिवर्तन होना।
  • नींद के पैटर्न में बदलाव।
  • मूड खराब बने रहना। 
  • खुद को लगातार बेकाबू होना। 
  • रोने का दिल करना। 
  • हर थोड़े समय में मूड बदलना। 
  • विश्वास मजबूत होना या कम होना।
  • सेक्स ड्राइव में कमी होना।
  • किसी भी चीज़ या जानकारी को याद रखने में कठिनाई।

PMS की समस्या के कारण 

PMS की समस्या के कारण 

महिलाओं में होने वाली प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम की समस्या के कारणों को अभी तक भी स्पष्ट नहीं किया जा सका है, क्योंकि विभिन्न महिलाओं में होने वाली प्रीमेंस्ट्रूअल के कारण समस्या में भिन्नता पाई गई है, जिसके कारण इसके लक्षण भिन्न-भिन्न होते हैं। लक्षणों के आधार पर ही पीएमएस की समस्या के कारण में भी भिन्नता पाई जाती है, इसलिए पीएमएस की समस्या के कारणों को स्पष्ट नहीं किया जा सकता है किंतु अनुमान के आधार पर पीरियड के समय होने वाले हार्मोनल परिवर्तन जिसमें प्रोजेस्ट्रोन तथा एस्ट्रोजन में परिवर्तन के कारण होता है।

हार्मोन परिवर्तन के कारण शरीर में होने वाले परिवर्तन शरीर एक्सेप्ट नहीं कर पाता है, जिससे विभिन्न प्रकार की शारीरिक तथा मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इन समस्याओं के कारण महिलाओं को दर्द तथा अन्य विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पीएमएस के कुछ कारण निम्नलिखित हैं

  • डिप्रेशन या मानसिक तनाव।
  • अनुवांशिक कारण।
  • नशे के कारण।
  • पोस्टपार्टम डिप्रेशन।
  • बर्थ कंट्रोल पिल्स का साइड-इफेक्ट।
  • खराब या अनियमित जीवन शैली। 

डिप्रेशन या मानसिक तनाव

डिप्रेशन या मानसिक तनाव

जब कोई महिला विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में मानसिक रूप से परेशान होती है, तो महिलाओं के मस्तिष्क में रासायनिक परिवर्तन होते हैं। रासायनिक परिवर्तन में सेरोटोनिन नमक हारमोंस का स्तर तनाव के कारण कम हो जाता है। सेरोटोनिन हारमोंस के रासायनिक परिवर्तन के कारण महिलाओं को चिंता तथा खुश ना रहने की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिसके कारण पीएमएस की विभिन्न समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह सभी समस्याएं महिलाओं को मानसिक रूप से प्रभावित करती हैं। इसलिए डिप्रेशन से बचना चाहिए तथा खुश रहने वाले कार्य को पर अधिक ध्यान देना चाहिए, जिससे हैप्पी हार्मोन स्रावित होता है और पीएमएस की समस्या नहीं होती है।

अनुवांशिक कारण

अनुवांशिक कारण

पीएमएस की समस्या के लिए अधिकतर अनुवांशिक कारण जिम्मेदार होते हैं, जो लगभग 50 से 60% महिलाओं में पाए जाते हैं। यह अनुवांशिक लक्षण महिलाओं की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होते रहते हैं, जिसके कारण महिलाओं को PMS से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं में विभिन्न भिन्न भिन्न प्रकार की समस्याएं भिन्न-भिन्न महिलाओं को हो सकती हैं, इसलिए पीएमएस के इलाज के लिए पीड़ित महिला की परिवारिक हिस्ट्री और डॉक्टर जानने की कोशिश करते हैं, जिससे पीएमएस की समस्या को ट्रैक किया जा सके तथा पीएमएस के स्पष्ट कारणों को जाना जा सके। जिन महिलाओं में पीढ़ी दर पीढ़ी ऐसी समस्या होती हैं, उन्हें पीएमएस के अनुवांशिक कारणों में विभाजित किया जाता है।

नशे के कारण

नशे के कारण

एक सर्वे में नशे करने वाले तथा नशा न करने वाली महिलाओं पर कुछ प्रयोग किए गए इन सभी महिलाओं में 50 महिलाएं नशे करने वाले तथा 50 महिला बिना नशा करने वाली थी जिनमें नशा करने वाली लगभग 70% महिलाओं में पीएमएस की समस्या देखी गई, इसलिए पीएमएस की समस्या से बचने के लिए महिलाओं को किसी प्रकार का भी नशा न करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि नशा करने से हमारे शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिनका प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ने के कारण महिलाओं में पीरियड से पहले विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याएं उत्पन्न करता है, जो महिलाओं में होने वाली समस्या प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम का कारण बनता है। इसलिए यदि आप पीएमएस की समस्या से बचना चाहती हैं तो नशा बिल्कुल ना करें।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन

पोस्टपार्टम डिप्रेशन

महिलाओं में बच्चे को जन्म देने की खुशी तथा बच्चे से जुड़ी विभिन्न प्रकार की बातों से महिलाओं के जीवन में एक परिवर्तन दिखाई देता है, जो महिलाओं में खुशी के साथ साथ विभिन्न परिवर्तन का कारण बनता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक पोस्टपार्टम डिप्रेशन का कोई एक कारण नहीं है, यह कई तरह के शारीरिक और भावनात्मक समस्याओं के संयोजन के कारण होने वाली समस्या है। बच्चे के जन्म के बाद आपके शरीर में हार्मोन (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) के स्तर में बदलाव को इसका प्रमुख कारण माना जाता है।

इस स्थिति में थायरॉयड ग्रंथि द्वारा उत्पादित हार्मोन्स का भी स्तर तेजी से गिरने लगता है जिसके कारण थकावट, सुस्ती और उदासी महसूस हो सकती है। इसके अलावा नवजात शिशु की देखभाल को लेकर बढ़ी आपकी चिंता को भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन का कारण माना जाता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या के कारण महिलाओं में पीएमएस की समस्या देखी जा सकती है, क्योंकि चिंता तथा तनाव के कारण हैप्पी हार्मोन्स मे कमी आती है जो PMS का कारण बनती है। 

बर्थ कंट्रोल पिल्स का साइड-इफेक्ट

बर्थ कंट्रोल पिल्स का साइड-इफेक्ट

महिलाएं गर्भधारण से बचने के लिए गर्भनिरोधक दवाइयों का सेवन करती हैं या फिर गलती से प्रेग्नेंट हो जाने के बाद गलती से प्रेग्नेंट होने की टेबलेट का प्रयोग करती हैं, जिसके कारण उनके शरीर में प्रोजेस्ट्रोन तथा एस्ट्रोजन हार्मोन पर प्रभाव पड़ता है, जिससे पीरियड्स में अनियमितता देखने को मिलती है। पीरियड्स की अनियमितता के कारण महिलाओं में तेज पेट दर्द ऐठन तथा पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग होने की समस्या होने लगती है, जिससे महिलाओं को विभिन्न शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

यह सभी शारीरिक समस्याएं महिलाओं में होने वाले  PCOD के लक्षण होते हैं, जो पीरियड से कुछ दिन पहले तक दिखाई देते हैं, किंतु पीरियड्स प्रारंभ होने के पश्चात ज्यादातर लक्षणों में आराम हो जाता है। इसलिए महिलाओं को पीएमएस की विभिन्न समस्याओं से बचने के लिए बर्थ कंट्रोल पिल्स का प्रयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए तथा गर्भपात करने वाली दवाओं का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, यह दवाइयां हमारे शरीर के लिए बहुत ही नुकसानदायक होती हैं। 

खराब या अनियमित जीवन शैली 

खराब या अनियमित जीवन शैली 

हमारे शरीर में होने वाले विभिन्न प्रकार के रोगों का मुख्य कारण हमारी खराब तथा अनियमित जीवनशैली का बहुत बड़ा रोल माना जाता है, क्योंकि आधुनिक समय में हम अधिकतर बाजार में उपलब्ध खाने के लिए फास्ट फूड तथा जंक फूड का प्रयोग करते हैं, किंतु एक्सरसाइज तथा शारीरिक एक्टिविटी के नाम पर कुछ भी नहीं करते हैं तथा अधिकतर कार्यों को मशीनों तथा कंप्यूटरों द्वारा होने के कारण हमारा शरीर बिल्कुल भी वर्किंग पोजीशन में नहीं रहता है, जिसके कारण हमारे शरीर में फैट तथा कोलेस्ट्रोल जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, जिसके कारण हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी तथा शरीर के वजन में वृद्धि होती जा रही हैं, जिसके कारण महिलाओं में विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याएं जैसे-पीएमएस/पीसीओडी तथा शारीरिक वजन तथा पेट बढ़ने की समस्या दिखाई देती है।

इसलिए premenstrual syndrome causes जैसी समस्याओं से बचने के लिए हमें दैनिक रूप से एक्सरसाइज तथा स्वास्थ्य पोषक तत्व युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए। 

पीएमएस की समस्या से बचने के लिए उपाय (PMS Treatment)

महिलाओं में होने वाली पीएमएस की समस्या प्रत्येक महीने पीरियड से कुछ दिन पहले तक दिखाई देती है, जो कि महिलाओं के लिए बहुत ही कष्ट कारक होती हैं। कुछ महिलाओं में इस के सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं, जिनसे महिलाओं को अधिक घबराने की आवश्यकता नहीं होती है, किंतु कुछ महिलाओं में पीएमएस के लक्षण कष्टदायक होते हैं।

ऐसी महिलाओं को पीएमएस की समस्या के विभिन्न लक्षणों के प्रतीत होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए डॉक्टर से मिलने के पश्चात डॉक्टर द्वारा विभिन्न बताएंगे तरीके से महिलाएं पीएमएस की समस्या से छुटकारा पा सकती हैं, जिससे पीरियड के पूर्व होने वाले दर्द, पेट की ऐंठन, पेट में गैस की समस्या तथा पीरियड्स में होने वाली अनियमितता की समस्या से राहत पा सकती हैं। पीएमएस की समस्या से बचने के लिए डॉक्टर द्वारा निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं। 

  • अवसादरोधी दवाएं Antidepressants
  • नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स Nonsteroidal anti-inflammatory Drugs
  • मूत्रवर्धक दवाएं Diuretics
  • हार्मोनल गर्भनिरोधक दवाएं Hormonal Contraceptive Drugs

अवसादरोधी दवाएं (Antidepressants)

Antidepressants

जब कोई महिला पीएमएस की समस्या के कारण दिखाई देने वाले लक्षणों से परेशान होकर डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, तो डॉक्टर उससे विभिन्न प्रकार के पीएमएस संबंधी जानकारी प्राप्त करते हैं तथा महिला के दिनचर्या के बारे में भी जानकारी करते हैं। यह डॉक्टर को लगता है कि महिला को पीएमएस की समस्या डिप्रेशन में तनाव के कारण हो रही है, जिसमें महिला मानसिक रूप से तनावग्रस्त होने के कारण उसको विभिन्न प्रकार के पीरियड से संबंधित समस्याएं हो रही हैं, तो डॉक्टर महिला को डिप्रेशन से बाहर लाने के विभिन्न तरीकों के साथ-साथ एंटीडिप्रेसेंट दवाइयां का प्रयोग करने की सलाह देते हैं।

यह दवाइयां डॉक्टर रोगी के शारीरिक संरचना तथा मानसिक तनाव की स्थिति के अनुसार खुराक का निर्धारण करते हैं, जिससे महिलाओं में अवसाद रोधी दवाओं का प्रयोग करने से तनाव अर्थात डिप्रेशन की समस्या दूर हो जाती है, जिससे कुछ समय पश्चात पीएमएस के विभिन्न लक्षणों से छुटकारा मिलता है, इसलिए महिलाओं को पीरियड्स के समय किसी प्रकार का मानसिक तनाव नहीं लेना चाहिए इससे उनके शरीर में हार्मोन परिवर्तन के कारण पीएमएस की समस्या हो सकती है।

नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Nonsteroidal Anti-Inflammatory Drugs)

नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स

कुछ महिलाओं में पीएमएस समस्या के कारण स्तनों में सूजन तथा दर्द का अनुभव होता है, जिससे महिलाएं बहुत अधिक परेशान हो जाती हैं और जब यह सूजन महिलाएं लगातार लंबे समय तक रहती है, तो यह धीरे-धीरे बढ़ते हुए महिलाओं के विभिन्न शारीरिक अंगों हाथ और पैर के साथ-साथ चेहरे पर भी दिखाई देती है। हाथ-पैर तथा चेहरे के साथ-साथ स्तनों में होने वाली इस सूजन को समाप्त करने के लिए डॉक्टर द्वारा सूजन कम करने की दवा नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स का प्रयोग किया जाता है, जो महिलाओं के शरीर में premenstrual syndrome causes के कारण हुई सूजन को कम करने में सहयोग करता है।

इसलिए पीएमएस की समस्या के कारण हुई  शारीरिक अंगों तथा स्तनों में सूजन को ठीक करने के लिए डॉक्टर की सहायता से नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स का प्रयोग करना चाहिए, जिससे महिलाओं के शरीर में होने वाली सूजन की समस्या ठीक हो जाती है तथा सूजन के कारण होने वाले दर्द से आराम मिलता है।

मूत्रवर्धक दवाएं (Diuretics)

Diuretics

जब महिलाओं के शरीर में पीएमएस के कारण लंबे समय तक सूजन की समस्या रहती है, जिससे महिलाओं के स्तन हाथ पैर तथा चेहरों में सूजन तथा दर्द की समस्या दिखाई देती है और डॉक्टर द्वारा उसे भोजन व्यायाम तथा एंटी  इन्फ्लेमेटरी दवाओं द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है या उपरोक्त सभी तरीके प्रयोग करने के पश्चात भी महिलाओं के शरीर में पीएमएस के कारण होने वाली समस्या के कारण सूजन समाप्त नहीं होती है, तो डॉक्टर द्वारा मूत्र वर्धक दवाएं प्रयोग करने की सलाह दी जाती है क्योंकि शरीर में जमा हुए अपशिष्ट पदार्थों को किडनी की सहायता से पेशाब द्वारा निकालने के लिए मूत्र वर्धक दवाएं प्रयोग की जाती हैं।

यह मूत्र वर्धक दवाइयां किडनी की सहायता से अपशिष्ट पदार्थों को तरल में परिवर्तित करके मूत्र मार्ग से बाहर निकाल देती हैं, स्पिरोनोलैक्टोन (एल्डैक्टोन) एक मूत्रवर्धक है जो पीएमएस के कुछ लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। इसलिए यदि लंबे समय तक एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाएं तथा अन्य विभिन्न प्रकार के तरीके से पीएमएस की समस्या ठीक ना हो पाए, तो डॉक्टर की सहायता से महिलाओं को मूत्र वर्धक दवाइयों का सेवन करना चाहिए, जिससे शरीर में एकत्रित हुए यूरिक एसिड जैसे अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र मार्ग से निकाला जा सके।

हार्मोनल गर्भनिरोधक दवाएं (Hormonal Contraceptive Drugs)

हार्मोनल गर्भनिरोधक दवाएं

Premenstrual syndrome causes के कारण कुछ महिलाओं में गर्भधारण करने की क्षमता समाप्त हो जाती है, जिसके कारण महिलाओं को विभिन्न प्रकार की मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए एक सर्वे में डॉक्टर द्वारा कुछ महिलाओं पर गर्भनिरोधक दवाएं प्रयोग की गई जिनको पीएमएस की समस्या थी उनमें से लगभग 80% महिलाओं में पीएमएस की समस्या समाप्त हो गई। डॉक्टरों का मानना है कि गर्भनिरोधक दवाओं का प्रयोग करने से महिलाओं में ओल्यूशन की समस्या रुक जाती है, जिससे पीएमएस की समस्या से राहत मिलती है। इसलिए शारीरिक संरचना तथा पीएमएस की समस्या के लक्षणों के आधार पर कुछ महिलाओं को डॉक्टर द्वारा हार्मोनल गर्भनिरोधक दवाइयां प्रयोग करने की सलाह दी जाती है, जिसके प्रयोग से महिलाओं में पीएमएस की समस्या से राहत पाई जा सकती है।

इन दवाओं का प्रयोग हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए, नहीं तो इसके आपके शरीर पर विपरीत प्रभाव भी दिखाई दे सकते हैं। 

PMS और PMDD क्या है

शुरुआत में, PMS (पीएमएस) एक मासिक धर्म समय की सामान्य समस्या है जो महिलाओं में पायी जाती है। इसमें, महिलाओं को पेट में दर्द, सिरदर्द, कमजोरी, बदहजमी, स्वल्प बुखार, चक्कर, आवाज उठाने की समस्या, मन में उदासी और गुस्सा आदि की समस्याएं हो सकती हैं। दूसरी तरफ, PMDD (पीएमडीडी) भी एक मासिक धर्म समय की समस्या है लेकिन यह PMS से थोड़ा सा भिन्न होता है। इसमें, महिलाओं को ज्यादा उदासी, चिंता और असहिष्णुता की समस्या होती है जो अक्सर सामान्य दैनिक गतिविधियों पर भी असर डालती है। नीचे दिए गए टेबल में, PMS और PMDD के लक्षणों की एक तुलना दी गई है। जो निम्नलिखित है

लक्षण PMS PMDD
उदासी थोड़ी  बहुत ज्यादा
चिंता और अधिक तनाव हाँ हाँ
असहिष्णुता हाँ हाँ
पेट में दर्द हाँ हाँ
सिरदर्द हाँ हाँ
कमजोरी हाँ हाँ
बदहजमी हाँ हाँ
चक्कर हाँ हाँ
मन में उदासी और गुस्सा हाँ हाँ
ज्यादा खून बहना नहीं हाँ

PMS और PMDD में अंतर (Difference Between PMS And PMDD) 

पीएमएस और पीएमडीडी की समस्या सामान्य तौर पर एक ही समस्या होती है। इन दोनों समस्याओं में ज्यादातर लक्षण तथा कारण एक ही होते हैं, किंतु अल्प समय में कोई समस्या को पीएमएस तथा लंबे समय तक चलने वाली पीएम इसकी समस्या को पीएमडीडी के नाम से जाना जाता है। PMS और PMDD में निम्नलिखित अंतर होते हैं

विशेषता PMS PMDD
लक्षण मासिक धर्म से पहले कुछ दिनों तक थकान, खुशी-उदासी, तनाव, पेट में दर्द और उदरवेदना, सिरदर्द और शरीर में दर्द लक्षण बहुत अधिक होते हैं और मासिक धर्म से पहले काफी समय तक रहते हैं, जैसे कि बेहोशी, बहुत ज्यादा उदासी, गंभीर तनाव, अधिक सुस्ती, स्वाद विकार, उल्टी, सिरदर्द और शरीर में दर्द
अवधि मासिक धर्म से पहले कुछ दिनों तक मासिक धर्म से पहले कुछ दिनों तक और बहुत लंबी अवधि तक
लक्षणों का समय मासिक धर्म से पहले कुछ दिनों तक मासिक धर्म से पहले काफी समय तक
उपचार स्वस्थ जीवन शैली, आहार पर ध्यान देना, व्यायाम, घरेलू उपचार, दवाओं का उपयोग जीवन शैली में परिवर्तन, आहार पर ध्यान देना, व्यायाम, घरेलू उपचार, दवाओं का उपयोग, मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्साीय उपचार

पीएमएस अथवा प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम से राहत पाने के कुछ अन्य उपाय

महिलाओं में होने वाली पीएमएस की समस्या प्रत्येक महीने के होती है, जिससे महिलाएं बहुत अधिक प्रभावित होती हैं और उनका जीवन पीएमएस की समस्या के कारण बहुत अधिक प्रभावित होता है। इसलिए महिलाओं को पीएमएस की समस्या से बचने के लिए अपनी दैनिक दिनचर्या तथा खानपान में विशेष परिवर्तन तथा देखभाल करके अपने शरीर के स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है, जिससे पीएमएस की समस्या से राहत पाई जा सकती है, इसलिए महिलाओं को पीएमएस की समस्या से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।

PMS से राहत पाने के उपाय

  • जिन महिलाओं में पीएमएस की समस्या के कारण पेट में तथा स्तनों में सूजन रहती है, उनको अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जिसमें पर्याप्त रूप से पोषक तत्व उपलब्ध हो जिसमें लाल रास्पबेरी पत्ती या कैमोमाइल जैसी हर्बल चाय ले सकती हैं। 
  • संतुलित तथा पोषण युक्त आहार लें जिसमें पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जियां, खड़े अनाज तथा अन्य पोषक तत्व उपलब्ध है तथा कोशिश करें कि फ्रेश तथा घर में बना हुए खाने का प्रयोग करें डिब्बाबंद बाजार में उपलब्ध भोजन का प्रयोग ना करें। 
  • यदि आप pms के लक्षणों को महसूस कर रहे हैं तो अत्यधिक चीनी, नमक, अल्कोहल तथा धूम्रपान से दूर रहे। 
  • शरीर में सूजन तथा मूड परिवर्तन से जुड़े लक्षणों से राहत पाने के लिए आप डॉक्टर की सलाह पर फोलिक एसिड, विटामिन बी-6, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे सप्लीमेंट ले सकती हैं, जो शरीर में सूजन तथा मूड परिवर्तन की समस्या से राहत दिलाते हैं।
  • दैनिक ग्रुप से पर्याप्त करो मैं विटामिन डी प्राप्त करें विटामिन डी प्राप्त करने के लिए सूर्य की रोशनी तथा विभिन्न सप्लीमेंट का प्रयोग कर सकती हैं।
  • दैनिक रूप से पर्याप्त नींद लें 1 दिन में कम से कम 8 से 10 घंटे सोने की कोशिश करें।
  • तनाव से दूर रहें तथा तनाव को दूर रखने के लिए योग करें तथा मस्तिष्क को शांत रखने वाली शांत म्यूजिक सुनें।
  • महिलाएं पीएमएस की समस्या से राहत पाने के लिए अपनी दिनचर्या में एक्सरसाइज तथा व्यायाम को जरूर शामिल करें।
  • एमएसके समस्या से बचने के लिए अनानास, मूंगफली, आलू, कद्दू, अखरोट, तिल, गेहूं, मशरूम, अंडा, साबूत आनाज आदि का सेवन कर सकते हैं।
  • एमएस की समस्या से छुटकारा पाने के लिए चटपटी चीजें जैसेः आचार, चिप्स, तली-भुनी चीजें, कैफीन युक्त चीजें, चीनी, नशीले पदार्थ।

निष्कर्ष

प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम अर्थात PMS महिलाओं में होने वाली है, प्रारंभिक स्थिति में आम समस्या होती है किंतु यदि यह समस्या लगातार बढ़ती जाती है, तो यह महिलाओं के लिए एक कष्ट कारक समस्या बन जाती है, जिसके लिए महिलाओं को विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इस समस्या से बचने के विभिन्न उपाय लक्षण तथा कारण की जानकारी उपरोक्त लेख में दी गई है, जिससे कि महिलाएं पीरियड से पहले या पीरियड आने के लक्षण प्रदर्शित होने से पहले होने वाली विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याओं से बची रह सकें, क्योंकि जब लड़कियों में पीरियड प्रारंभ होते हैं तो प्रारंभिक समय में लड़कियां पीरियड्स के बारे में अपने घर मैं बात करने से घबराती तथा शरमाती है।

जिसके कारण वह अपने घरवालों से PMS के कारण होने वाली समस्याओं के बारे में बात नहीं कर पाती, ऐसी लड़कियों को इस लेख के माध्यम से पीएमएस की समस्या तथा उससे जुड़े विभिन्न बातों को समझने में सहयोग प्राप्त होगा। यह लेख लड़कियों को या महिलाओं को जागरूक तथा जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से लिखा गया है, इसमें बताइए सभी प्रकार के दवाइयों का प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें जिससे PMS की समस्या से आसानी से राहत पाई जा सके। 

लोगों द्वारा पूछे गए कुछ प्रश्न

PMS किन कारणों से होता है?

प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम की समस्या के कारण महिलाओं में पीरियड से संबंधित विभिन्न प्रकार की समस्याएं पीरियड से पूर्व दिखाई देती है तथा पीरियड प्रारंभ होने पर यह सभी समस्याएं अधिकतर समाप्त हो जाती हैं। पीएमएस की समस्या के सभी कारणों को स्पष्ट नहीं किया जा सकता है, क्योंकि प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम के कारण विभिन्न प्रकार के भिन्न-भिन्न लक्षण दिखाई देते हैं, किंतु पीएमएस ज्यादातर शारीरिक पोषण की कमी, मानसिक तनाव के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के हार्मोन और परिवर्तन के कारण होता है।

PMS की समस्या में डॉक्टर से कब मिलें?

प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम की समस्याएं ज्यादातर महिलाओं को पीरियड से कुछ दिन पहले तक दिखाई देती है और कुछ समस्याएं कष्ट कारक होती है, कि कुछ समस्या सामान्य रूप से प्रदर्शित होते हैं। यदि पीरियड के समय दिखाई देने वाली यह समस्या है लंबे समय तक कष्ट कारक के रूप में शरीर में दिखाई देती हैं, आपको डॉक्टर से मिलने की आवश्यकता होती है, किंतु यदि यह सामान्य 1 से 2 दिन तक ही दिखाई देती हैं तो आपको किसी प्रकार की कोई चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

क्या उम्र प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम को प्रभावित करती है?

सामान्य तौर पर जरूर लड़कियों या महिलाओं को पीरियड से प्रारंभ होते हैं। तब भी प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम की समस्या भी प्रारंभ होती है सामान्य तौर पर 12 से 15 वर्ष की आयु में पीरियड प्रारंभ हो जाते हैं तथा अधिकतर महिलाओं को 45 से 55 साल की उम्र में रजोनिवृत्ति हो जाती है। प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम की समस्या इसी उम्र में रहती है, जो कि 12 से 15 वर्ष की उम्र से प्रारंभ होकर 45 से 50 साल की उम्र तक रहती है, उसके बाद यह स्वतः समाप्त हो जाती है।

प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम में कौन-सी दवाएं ली जा सकती है?

PMS की समस्या को ठीक करने के लिए उपरोक्त लेख में विभिन्न तरीके बताए गए हैं, जिनके द्वारा पीएमएस की समस्या को ठीक किया जा सकता है। किंतु इन दवाओं का प्रयोग बिना डॉक्टर की सलाह से नहीं करना चाहिए, इसलिए यदि आपको PMS की समस्या होती है तो आपको सबसे पहले डॉक्टर से मिलने की आवश्यकता है जिससे डॉ आपके उम्र तथा शारीरिक संरचना के अनुसार दवाओं का निर्धारण कर सकते हैं।

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