रुद्राक्ष थैरेपी (Rudraksha Therapy) कर सकती है दुनिया के किसी भी रोग का इलाज

आधुनिक समय में व्यस्त जीवन शैली तथा वातावरणीय दूसरों के कारण हमारा शरीर विभिन्न प्रकार की बीमारियों से पीड़ित रहता है, क्योंकि हमारे शरीर को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है तथा इसके विपरीत हमारे शरीर में दैनिक रूप से विभिन्न प्रकार के प्रदूषक तत्व फैलते रहते हैं, जो हमारे शरीर को बीमार करते रहते हैं। दुनिया के लगभग 90% लोग अपनी खराब जीवनशैली तथा दिनचर्या के कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। आज के समय में लोग भागदौड़ भरी जिंदगी मानसिक तनाव रक्तचाप मधुमेह तथा तेल के विभिन्न प्रकार के बीमारियों से पीड़ित रहते हैं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम अपने मन आत्मा तथा शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते हैं, जिससे इनके बीच संतुलन बिगड़ जाता है और हमें विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं। अपने मन, शरीर तथा आत्मा के मध्य संतुलन बनाए रखने के लिए कुछ लोग प्राचीन काल से ही रुद्राक्ष का प्रयोग करते आ रहे हैं, ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष थैरेपी द्वारा हम विभिन्न प्रकार के रोगों को ठीक कर सकते हैं। रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसको धारण करने से भगवान शिव की भी कृपा बनी रहती है। 

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रुद्राक्ष क्या है? (What is Rudraksh)

रुद्राक्ष

सामान्य भाषा में रुद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें पहला शब्द रुद्र तथा दूसरा शब्द अक्स है, जिसका संयुक्त रूप रुद्राक्ष होता है रुद्र का अर्थ शिव तथा अक्स का अर्थ आंसू होता है अर्थात शिव के हाथों से प्राप्त होने वाले वक्त को रुद्रा कहा जाता है। प्राचीन समय में ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव के आंखों से आंसुओं की कुछ बूंदे पृथ्वी पर गिरी तो उनसे इलियोकार्पस गेनिट्रस नामक पेड़ के वनों की उत्पत्ति हुई इस पेड़ के फलों के बीजों से रुद्राक्ष प्राप्त किया जाता है।

वैज्ञानिक शोध के अनुसार इस इलियोकार्पस गेनिट्रस नामक पेड़ के फलों के बीजों में जिन्हें हम रुद्राक्ष के नाम से जानते हैं, बहुत अधिक मात्रा में विभिन्न प्रकार के गैसीय तथा धातु तत्व पाए जाते हैं जिनमें कार्बन 50.031 %, हाईड्रोजन 17.897 %, नाइट्रोजन 0.095 %, आक्सीजन 30.453% इसके अतिरिक्त एल्युमिनियम, कैल्शियम, तांबा, कोबाल्ट, तांबा, आयरन की मात्रा भी होती है इसके अलावा रुद्राक्ष में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तत्व पाए जाते हैं जो विभिन्न प्रकार की समस्याओं को ठीक करने में प्रयोग किए जाते हैं। इसलिए विभिन्न प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए रुद्राक्ष थैरेपी की जाती है, जिसमें रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है  इसलिए रुद्राक्ष का हमारे जीवन में बहुत बड़ी उपयोगिता मानी जाती है। 

रुद्राक्ष का हमारे जीवन में महत्व

रुद्राक्ष थैरेपी

रुद्राक्ष का हमारे जीवन में सभी क्षेत्रों में महत्व होता है क्योंकि हम विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक तथा मंत्र तंत्र संबंधी समस्याओं से बचने के लिए रुद्राक्ष को धारण करते हैं तथा इसका प्रयोग प्राचीन काल से ही विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है, जिससे यह में विभिन्न प्रकार की बीमारियों से भी बचाता है। साथ ही साथ कुंडली में ग्रह नक्षत्र की स्थिति ठीक न होने के कारण याद व्यक्ति की राशि में किसी प्रकार का दोष होने के कारण को ठीक करने के लिए भी रुद्राक्ष धारण किया जाता है।

इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के अनुसार मस्तिष्क से जुड़ी प्रत्येक समस्या के लिए रुद्राक्ष बहुत ही उपयोगी साबित हुआ है शोध में इस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया कि रुद्राक्ष में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पॉवर होने के कारण यह हमारे शरीर के लिए जादू की तरह कार्य करता है। इसकी कार्यक्षमता को समझना हमारे समझ से बाहर हो जाता है इसलिए हम इसके प्रभाव को जादू का नाम दे देते हैं, इसलिए यदि आप अपने शरीर को स्वस्थ रखने तथा अपने आप को स्वस्थ बनाने के लिए रुद्राक्ष थैरेपी का प्रयोग करते हैं,या सहारा लेते हैं तो यह आपके लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो सकता है, क्योंकि रुद्रा के द्वारा विभिन्न प्रकार की शारीरिक बीमारियों को बड़ी आसानी से ठीक किया जा सकता है। 

रुद्राक्ष थैरेपी का हमारे स्वास्थ्य के बारे में उपयोग

रुद्राक्ष थैरेपी

रुद्राक्ष थैरेपी द्वारा रोगों को ठीक करने से पहले हमें रुद्राक्ष थैरेपी क्या होती इसके बारे में जानकारी लेना बहुत ही आवश्यक है इसलिए, सबसे पहले हम आपको रुद्राक्ष थैरेपी  के बारे में थोड़ी जानकारी उपलब्ध कराएंगे रुद्राक्ष के द्वारा किसी भी रोग को ठीक करने की प्रक्रिया रुद्राक्ष थैरेपी कहलाती है। जिसमें रुद्राक्ष का प्रयोग विभिन्न प्रकार से किया जा सकता है जैसे रुद्राक्ष की माला के रूप में, एक रुद्राक्ष का प्रयोग करके, रुद्राक्ष के पाउडर का प्रयोग करके, या फिर रुद्राक्ष को पानी के साथ घिसने के बाद प्राप्त पेस्ट के रूप में इसके अलावा भी रुद्राक्ष थैरेपी मैं रुद्राक्ष का प्रयोग कई तरीके से किया जा सकता है।

इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के द्वारा रुद्राक्ष का अध्ययन किया गया तो उसमें विभिन्न प्रकार के आयुर्वेदिक तत्वों को पाया गया तथा साथ ही साथ इसमें कुछ ऐसे अन्य गुण पाया गया जो विभिन्न प्रकार के रोगों के लिए प्रयोग किए जा सकते थे तथा जिन का प्रयोग करते हुए विभिन्न प्रकार की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। इसलिए फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के रोगों के ठीक करने के लिए किया जिसमें उन्हें बहुत अधिक सफलता प्राप्त हुई। इसलिए आप भी विभिन्न रोगों को ठीक करने के लिए रुद्राक्ष का प्रयोग कर सकते हैं। यदि आप भी रुद्राक्ष थैरेपी  का प्रयोग करते हुए विभिन्न प्रकार के रोगों को ठीक करना चाहते हैं, तो आपकी जानकारी के लिए कुछ ऐसी बीमारियां बताई जा रही हैं, जो इस थेरेपी द्वारा ठीक की जा सकती हैं। जो निम्नलिखित हैं

  • हृदय से संबंधित समस्या।
  • मस्तिष्क को शांत करने के लिए इंद्रियों पर रुद्राक्ष का प्रयोग।
  • रुद्राक्ष के चुंबकीय लाभ।
  • मस्तिष्क के नियंत्रण के लिए रुद्राक्ष का प्रयोग।
  • शारीरिक ऊर्जा में स्थिरता लाने के लिए।
  • एंटीइंफ्लेमेशन गुणों के लाभ प्राप्त करने के लिए।

हृदय से संबंधित समस्या के लिए रुद्राक्ष थैरेपी

हृदय से संबंधित समस्या के लिए रुद्राक्ष थैरेपी

हमारा ह्रदय हमारे मस्तिष्क के साथ-साथ पूरे शरीर में रक्त संचार के लिए जिम्मेदार होता है इसलिए यदि हमारे घर में कोई समस्या होती है तो हमारे शरीर का रक्त संचार बाधित हो जाता है या फिर हमारे शरीर के किसी भी हिस्से में यदि रक्त संचार बाधित होता है, तो उसका प्रभाव हमारे ह्रदय में पड़ता है। इसलिए हृदय तथा रक्त संचार को संतुलित रखने तथा शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हृदय तथा शरीर के रक्त संचार को स्वस्थ रखना बहुत ही आवश्यक होता है। लिए इसलिए यदि आपके शरीर में रक्त के संचार संबंधी या फिर ह्रदय से संबंधी कोई समस्या है तो उसके लिए आप रुद्राक्ष थैरेपी का सहारा ले सकते हैं।

रुद्राक्ष में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुण पाए जाते हैं जिसके कारण यह शरीर के रक्त संचार को ठीक करने में मदद करता है, इसलिए जिन लोगों के शरीर में रक्त संचार संबंधित समस्या होती है, उस क्षेत्र में रुद्राक्ष धारण किया जाता है या फिर उस क्षेत्र में रुद्राक्ष का पेस्ट बनाकर लेप लगाया जाता है, तो उस क्षेत्र के रक्त संचार में परिवर्तन दिखाई देता है जिसके कारण रक्त संचार में होने वाली समस्या ठीक हो जाती है तथा इस रक्त संचार में होने वाली समस्या के कारण उत्पन्न हुई ह्रदय से संबंधित समस्या ठीक हो जाती है। इसलिए रुद्राक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुण का प्रयोग रुद्राक्ष थैरेपी के रूप में हृदय से संबंधित समस्याओं तथा रक्त संचार से संबंधित समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जा सकता है।

मस्तिष्क को शांत करने के लिए इंद्रियों पर रुद्राक्ष थैरेपी

मस्तिष्क को शांत

जब हमारा मस्तिष्क विभिन्न प्रकार के समस्याओं के कारण अशांत हो जाता है तो हमारे शरीर में तनाव अवसाद तथा मानसिक समस्याओं से संबंधित विभिन्न प्रकार की समस्याएं हो जाती हैं, जिनके कारण हम बहुत अधिक परेशान रहने लगते हैं और हमारे जीवन में विभिन्न समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए मस्तिष्क को शांत रखना बहुत ही आवश्यक होता है किंतु मस्तिष्क को शांत अभी रखा जा सकता है। जब आप अपनी इंद्रियों को अपने बस में करते हैं इसलिए मस्तिष्क को शांत करने के लिए इंद्रियों पर रुद्राक्ष थैरेपी का प्रयोग किया जाता है जिसमें शरीर के सभी इंद्रियों को रुद्राक्ष के प्रयोग से शांत किया जाता है तथा उन्हें एकाग्र चित्त करके कंट्रोल किया जाता है शरीर में पांच इंद्रियां होती हैं जिन्हें आँख, नाक, कान, जीभ तथा त्वचा के नाम से जाना जाता है।

यह पांच इंद्रियां हमारे शरीर को बाहरी तत्वों से अवगत कराती हैं जिसके कारण हमारा शरीर सुनने, समझने तथा सूंघ कर बाहरी तत्वों का अध्ययन करने का कार्य करता है, जिनके कारण यदि किसी विशेष प्रकार का प्रभाव या मानसिक दबाव हमारे शरीर पर होता है, तो वह मस्तिष्क को अशांत कर देता है। इसलिए रुद्राक्ष धारण करने से मन शांत हो जाता है जिससे मस्तिष्क में उलझन दबाव तथा तनाव जैसी समस्याएं समाप्त हो जाते हैं जिसके कारण मस्तिष्क संबंधित सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।

रुद्राक्ष थैरेपी के चुंबकीय लाभ

रुद्राक्ष थैरेपी के चुंबकीय लाभ

बहुत सारे लोगों के शरीर में विभिन्न प्रकार की रक्त धमनियां तथा नशे ब्लॉक हो जाती हैं जिसके कारण उस क्षेत्र में रक्त संचार प्रभावित होता है और वह अंग पैरालिसिस का शिकार हो जाता है। शरीर के किस अंग में रक्त संचार सामान्य रूप से नहीं होता है वह अंग कार्य करना बंद कर देता है। यदि मस्तिष्क में भी पर्याप्त रूप से रक्त संचार नहीं होता है तो हमारे मस्तिष्क में पैरालिसिस हो जाता है, जिसे कोमा के रूप में जाना जाता है, इसलिए शरीर के रक्त संचार को सुचारू रूप से बनाए रखना बहुत ही आवश्यक होता है रुद्राक्ष थैरेपी का प्रयोग करके शरीर में रक्त संचार को संतुलित किया जा सकता है, क्योंकि रुद्राक्ष में डायनेमिक पोलैरिटी होने के कारण रुद्राक्ष एक चुंबक की तरह कार्य करता है जिससे शरीर में प्रतिबंधित रक्त शिराएं तथा धमनिया सुचारू रूप से कार्य करने लगते हैं।

शरीर में जो रक्त सिराओ तथा धमनियो मे विभिन्न कारणों से ब्लॉक होती हैं और उन में रक्त संचार नहीं हो पाता है, वहां पर रुद्राक्ष थैरेपी का प्रयोग करके इन धमनियों तथा शिराओं में रक्त संचार को संचालित किया जाता है, जिससे वह अंग पैरालिसिस तथा अपंग होने से बच जाता है। जिन लोगों के शरीर में पैरालिसिस के कारण विभिन्न अंग कार्य नहीं करते हैं या फिर उनको रक्त ब्लॉकेज की समस्या है, वह लोग रुद्राक्ष थैरेपी का प्रयोग करते हुए पैरालिसिस की समस्या को ठीक करने की कोशिश कर सकते हैं। इस प्रकार रुद्राक्ष थैरेपी द्वारा रुद्राक्ष के चुंबकीय गुण के कारण शरीर से पैरालिसिस समस्या को समाप्त किया जा सकता है।

मस्तिष्क के नियंत्रण के लिए रुद्राक्ष थैरेपी

मस्तिष्क के नियंत्रण के लिए

अपने आसपास बहुत सारे ऐसे लोगों को देखते होंगे जो सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण होते हैं और उनके जीवन में कैसे भी समस्या आ जाए उनके दिमाग में नकारात्मक विचार कभी नहीं आते हैं। यही उनकी सफलता का मुख्य कारण भी होता है ऐसे लोग आत्मविश्वास, बुद्धि, मानसिक संतुलन अधिक में पूर्ण होते हैं जिसके कारण उनको प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है और ऐसे लोग ही समाज में एक मिसाल कायम करते हैं। इसलिए जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मस्तिष्क को नियंत्रण में रखना बहुत ही आवश्यक होता है, यदि आपका मस्तिष्क आपके नियंत्रण में रहता है तो आप कोई भी कार्य करने में सफल रहते हैं इसलिए रुद्राक्ष थैरेपी का प्रयोग मस्तिष्क के नियंत्रण में किया जाता है क्योंकि रुद्राक्ष में पर्याप्त रूप से सकारात्मक ऊर्जा विद्यमान होती है जिसके कारण जो भी व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है, उसके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और वह नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है,

जिसके कारण व्यक्ति का मस्तिष्क इधर-उधर नहीं भटकता है और उसे अपने मस्तिष्क को नियंत्रित रखने में सहयोग प्राप्त होता है, जो व्यक्ति रुद्राक्ष का प्रयोग करते हुए अपने मस्तिष्क को नियंत्रित रखना चाहते हैं वे लोग रुद्राक्ष थैरेपी द्वारा मस्तिष्क को नियंत्रित कर सकते हैं क्योंकि 1 मुखी रुद्राक्ष माला व्यक्ति को धैर्यवान, 4 और 6 मुखी रुद्राक्ष माला बुद्धिमान और 9 मुखी रूद्राक्ष की माला कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ाती है। मस्तिष्क पर नियंत्रण करके आप कोई भी कार्य करने में बड़ी आसानी से सफल हो सकते हैं तथा अपने जीवन को सफलता की ओर ले जा सकते हैं। इसलिए मस्तिष्क के नियंत्रण के लिए रुद्राक्ष थैरेपी बहुत ही आवश्यक माना जाता है इससे आपका जीवन सुखी तथा समृद्ध हो जाता है।

शारीरिक ऊर्जा में स्थिरता लाने के लिए

ऊर्जा में स्थिरता

रुद्राक्ष में सकारात्मक ऊर्जा विद्यमान होती है जो हमारे शरीर को सकारात्मक कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक प्रयोगों तथा अध्ययन में पाया गया है कि रुद्राक्ष मे डाई इलेक्ट्रॉनिक गुण होते हैं जिसके कारण रुद्राक्ष कैसे भी ऊर्जा को संचित करने का कार्य कर सकता है अर्थात जब हमारा मस्तिष्क मानसिक रूप से तनावग्रस्त होता है तो हमारे शरीर से अत्यधिक ऊर्जा उत्सर्जित होती है और यदि इस ऊर्जा को बर्न या एकत्रित ना किया जाए तो यह हमारे शरीर के अंगों पर प्रभाव डालती है, जिसके कारण रक्तचाप, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।

इन सभी समस्याओं से बचने के लिए रुद्राक्ष धारण किया जाता है जो मानसिक रूप से तनावग्रस्त होने पर उत्सर्जित होने वाली ऊर्जा को शरीर के कोशिका तंत्र में एकत्रित करके शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है अर्थात जब हम रुद्राक्ष धारण करते हैं, तो हमारे शरीर से उत्सर्जित होने वाली अतिरिक्त एनर्जी हमारे शरीर में एकत्रित होती रहती है जिससे हमारे शरीर की शारीरिक शक्ति बढ़ती रहती है और हमारे शरीर में ऊर्जा की स्थिरता रहती है, जिससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। इसलिए शरीर में ऊर्जा की स्थिरता को बनाए रखने के लिए रुद्राक्ष थैरेपी का प्रयोग किया जाता है जिससे हम अपने शरीर की ऊर्जा को बर्बाद होने से बचाते हैं तथा उसका प्रयोग शारीरिक शक्ति को बढ़ाने में करते हैं।

एंटीइंफ्लेमेशन गुणों के लाभ प्राप्त करने के लिए रुद्राक्ष थैरेपी

रुद्राक्ष में एंटी इन्फ्लेमेटरी तथा एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जिसके कारण इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों के लिए किया जाता है जिन लोगों को विभिन्न प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं तथा जिन की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उनको अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्युनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक शास्त्रियों द्वारा रुद्राक्ष के पानी पीने की सलाह दी जाती है, क्योंकि रुद्राक्ष को जब पानी में भिगोकर रखा जाता है तो उस पानी में रुद्राक्ष के एंटी इन्फ्लेमेटरी तथा एंटीबैक्टीरियल तत्व घुल जाते है, जिससे कार्य हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है तथा हमें विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लड़ने में सहयोग करता है, जिससे हमारा शरीर विभिन्न बीमारियों से सुरक्षित रहता है।

इसलिए यदि आप अपने शरीर की इम्यूनिटी बनाना चाहते हैं तो आपको रुद्राक्ष थैरेपी का सहयोग लेना चाहिए। रुद्राक्ष थैरेपी यदि मे आप रुद्राक्ष का पानी दैनिक रूप से पीते हैं तो आपके शरीर से इन्फ्लेमेशन की समस्या समाप्त हो जाती है तथा आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होने के कारण आपके शरीर के विभिन्न प्रकार के संक्रमण तथा अन्य विभिन्न प्रकार के रोग समाप्त हो जाते हैं।

निष्कर्ष

आधुनिक समय में विभिन्न प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है, रोगों के अलावा विभिन्न प्रकार की समस्याएं जो शारीरिक मानसिक तथा दैवीय होती हैं उनको भी ठीक करने के लिए रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है। इसलिए रुद्राक्ष का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व माना जाता है रुद्राक्ष को प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में देखा जाता था क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव का अस्तित्व होता है इसलिए यह रुद्रा सभी का कल्याण करता है।

आधुनिक समय में बहुत सारे लोगों द्वारा रुद्राक्ष धारण करके विभिन्न प्रकार की समस्याओं को समाप्त किया जा रहा है तथा डॉक्टरों द्वारा रुद्राक्ष थैरेपी का सहारा लेते हुए विभिन्न प्रकार के रोगों का इलाज भी किया जा रहा है, इसलिए रुद्राक्ष आध्यात्मिक तथा वैज्ञानिक दोनों ही तरीके से हमारी रक्षा कर रहा है तथा हमारे लिए उपयोगी साबित हो रहा है, जो लोग रुद्राक्ष का प्रयोग करते हैं वे अपने जीवन में सदा सुखी तथा संपन्न रहते हैं तथा अपने जीवन की सफलता का अनुभव करते हैं, इसलिए यदि आप अपने जीवन में स्वस्थ तथा मजबूत रहना चाहते हैं तो आपको अपने शारीरिक समस्याओं को समाप्त करने के लिए रुद्राक्ष थैरेपी का सहारा लेना चाहिए या आपके लिए बहुत ही उपयोगी हो सकता है।

लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्न

रुद्राक्ष का पानी पीने से क्या लाभ होता है?

जैसा कि उपरोक्त लेख में बताया गया है की रुद्राक्ष में anti-inflammatory तथा एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जिसके कारण रुद्राक्ष का प्रयोग शारीरिक इम्युनिटी बढ़ाने तथा विभिन्न प्रकार के रोगों से रक्षा के लिए किया जाता है। इसलिए रुद्राक्ष को पानी में भिगोने से रुद्राक्ष के गुण पानी में मिल जाते हैं, जिससे यदि रुद्राक्ष का पानी पिया जाता है तो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है तथा हमारे शरीर के विभिन्न प्रकार के रोग समाप्त हो जाते हैं। यदि आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है या फिर आप पर किन प्रकार के रोगों से परेशान हैं तो आपको दैनिक रूप से रुद्राक्ष का पानी पीना चाहिए।

मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरा रुद्राक्ष काम कर रहा है?

जब आप रुद्राक्ष को सक्रिय कर के विधि विधान पूर्वक धारण करते हैं तो आपको लगेगा कि आपके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का एक आभामंडल महसूस हो रहा है और आपके सभी कार्य सफल होने लगते हैं। आपने जिस कार्य के लिए रुद्राक्ष धारण किया हुआ है उस कार्य के सफल होने के संकेत दिखाई देने लगते हैं, आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे आप पहले से अधिक एक्टिव दिखाई देते हैं। यदि आपके अंदर यह सभी बदलाव दिखाई दे रहे हैं तो इसका मतलब है कि आपका रुद्राक्ष काम कर रहा है।

गले में कौन सा रुद्राक्ष पहनना चाहिए?

आप अपने कार्य की सिद्धि के अनुसार कोई भी रुद्राक्ष गले में धारण कर सकते हैं क्योंकि सभी रुद्राक्ष अलग-अलग कार्यों की सिद्धि के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इसलिए आप किस प्रकार के कार्य के लिए जो रुद्राक्ष उपयुक्त हो किसी ज्योतिषी की सहायता से खुश रुद्राक्ष को किस विधान पूर्वक गले में धारण कर सकते हैं।

रुद्राक्ष का पानी कितने दिन पीना चाहिए?

रुद्राक्ष का पानी आप कितने भी दिन लगातार पी सकते हैं यह आपके लिए किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं करता है और इससे आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इसलिए यदि आप किसी रोग को ठीक करने के लिए रुद्राक्ष का पानी पी रहे हैं, तो जब तक रोक ठीक नहीं हो जाता है तब तक आपको लगातार रुद्राक्ष का पानी पीना चाहिए और यदि आप सामान्य परिस्थितियों में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने के लिए रुद्राक्ष का पानी पीना चाहते हैं, तो आप 1 हफ्ते तक लगातार पीने के पश्चात 2 दिन का ब्रेक देने के बाद फिर से 1 सप्ताह लगातार पानी पी सकते हैं। इस प्रकार यह प्रक्रिया लगातार अपनाने से आपके शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता में विकास होता है।

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